Lekhny POEM-05-Feb-2024
भली लगती
जहाँ आतिथ्य हो अनुराग हो,
आध्यात्म चिंतन हो!
पत्थर की बड़ी महलों से,
वह कुटिया भली लगती!
भली लगती शिखर ये आसमां,
उस त्याग निष्ठा को!
विपदा में सियारों को,
सदा दुखिया भली लगती! 1.
भली लगती अमानत और की,
व्यभिचारी दागी को!
जंजीरों में जकड़े जानवर,
हाथी भली लगती!
भली लगती हैं चाहत इश्क की,
जद में जवानी में!
सफ़र में शून्य तक जो साथ दे,
साथी भली लगती! 2.
चिड़ियों का चहकना बाग में,
भौरे परागों पर!
खेतो में किसानों की लगन,
चाहत भली लगती!
भली लगती हैं हालत दीन की,
अक्सर अमीरी में!
डुबती नांव जब मजधार में,
राहत भली लगती! 3.
कीचड़ में कमल कलरव कली,
करुणा किताबों में!
बुरे वक्त में बदलाव की,
आहट भली लगती!
सीमा पर सजग प्रहरी,
जुगनू अंधकारो में!
पथ वीरान हों सुनसान हों,
साहस भली लगती! 4.
जहां गुजरे पुराने दिन,
वही छोटी सी बस्ती में!
शहर के आशियाने से,
वही टोली भली लगती!
अहिंसा मानते अच्छी हैं,
अपने राष्ट्र के हित में!
समर में शत्रु सम्मुख हों,
वहाँ गोली भली लगती! 5.
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स्वरचित मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित..
✍🏾 चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
सुंदरपुर बरजा, आरा (भोजपुर) बिहार
Gunjan Kamal
07-Feb-2024 06:32 PM
👏👌
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Mohammed urooj khan
06-Feb-2024 03:39 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
06-Feb-2024 04:33 PM
🙏🏽
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Alka jain
06-Feb-2024 10:58 AM
Nice one
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चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
06-Feb-2024 04:32 PM
🙏🏽🙏🏽
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